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"विष्णु अवतार: भगवान विष्णु के 10 अवतार"

Updated: Jan 30

भगवान विष्णु हिन्दू धर्म में त्रिदेवों में एक महत्वपूर्ण देवता हैं और भगवान विष्णु के 10 अवतार विभिन्न अवतारों अद्वितीय महत्व है। इन अवतारों के माध्यम से भगवान विष्णु ने समय-समय पर धरती पर अधर्म का नाश करने के लिए अपने भक्तों को रक्षा की है। इस ब्लॉग में, हम विवेचना करेंगे कि भगवान विष्णु के अवतार क्या हैं और इनके महत्वपूर्ण संदेश क्या हैं।


भगवान विष्णु के 10 अवतार, a blog post by Kashidarshana

1. मत्स्य अवतार:

भगवान विष्णु के 10 अवतार में से पहला अवतार मत्स्य अवतार है ।

- मत्स्य अवतार में भगवान विष्णु ने महाप्रलय के समय जल से प्रजापति मनु को सुरक्षित रखने के लिए मत्स्य रूप धारण किया था।

हिंदू धर्म के भागवत पुराण के अनुसार भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार ने राक्षस हयग्रीव का वध किया था।

हयग्रीव नामक राक्षस की उत्तपत्ति भगवान ब्रह्मा के नाक से हुई थी और उसने चारों वेदों को चुराने का सही समय देखा और वेदों के सारे ज्ञान को चुरा लिया था।

भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार में हयग्रीव का वध करके वेदों और उनके ज्ञान को बचाया था।

- इस अवतार से समय-समय पर धरती पर प्राकृतिक प्रलयों से बचाव होता है।


2. कूर्म अवतार:

भगवान विष्णु के 10 अवतार में से दूसरा अवतार कूर्म अवतार है ।

- कूर्म अवतार में विष्णु ने भगवान शिव के साथ मिलकर समुद्र मंथन में भाग लिया और अमृत प्राप्त किया।

जब देवों और असुरों के बीच अमृत पाने के लिए समुंदर मंथन करने का निश्चय किया गया तब मंदार पर्वत को समुंदर मंथन के लिए लाया गया और नाग वासुकि को रस्सी के रूप में इस्तेमाल किया गया पर सबसे बड़ी समस्या यह थी कि पर्वत को स्थायी कैसे रखा जाए तब भगवान विष्णु ने कूर्म अवतार अर्थात् कछुए के रूप में अवतार लिया जिनकी पीठ पर मंदार पर्वत को रखा गया और समुंदर मंथन पूरा किया गया ।

- इस अवतार से भक्तों को सहायता और सामर्थ्य का संदेश मिलता है।


3. नरसिंह अवतार:

भगवान विष्णु के 10 अवतार में से तीसरा अवतार नरसिंह अवतार है ।

- भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार में हिरण्यकशिपु के विरुद्ध यहां वामन रूप धारण किया और उसे वराह शक्ति से मारा।

हिरण्यकशिपु भगवान विष्णु का विरोधी था और उन्हें नापसंद करता था वही उसका बेटा प्रह्लाद भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था और इस बात से नाराज़ उसके पिता ने सारे उपाय किए परन्तु उनका बेटा भगवान विष्णु की आराधना करता ही रहता रहा।

परेशान होकर राजा ने अपने बेटे को कारागार में डाल दिया और उसे वरदान था कि उससे ना दिन में ना रात में और ना ही घर के बाहर ना घर के अंदर और ना ज़मीन पर और ना आसमान पर मार सकता है जिसका संघार करने के लिए भगवान विष्णु खम्बे में से अवतरित हुए और उसका वध ना दिन में ना रात में बल्कि संध्या काल में , ना ज़मीन पर ना आसमान पर बल्कि उन्होंने अपनी जंघा पर और ना घर के बाहर ना घर के अंदर बल्कि घर के चौखट पर उसका वध अपने नाख़ूनो से किया।

- इस अवतार से भक्तों को भगवान की रक्षा के लिए उनकी शक्ति और उपकारिता का अनुभव होता है।



4. वराह अवतार:

भगवान विष्णु के 10 अवतार में से चौथा अवतार वराह अवतार है ।

   - वराह अवतार में भगवान विष्णु ने हिरण्याक्ष नामक राक्षस को मातृभूमि से हरने के लिए वराह रूप धारण किया था।

हिरण्यकशिपु के वध के बाद उसके भाई हिरण्याक्ष ने पूरी पृथ्वी को समुंद्र में डूबा दिया था जिससे हर तरफ़ त्राहिम-त्राहिम और मानव जीवन अस्त-व्यस्त हो गया था जिसपर भगवान विष्णु ने वराह अवतार लेकर पृथ्वी को समुंद्र से बाहर निकाला।

   - इस अवतार से अधर्म के खिलाफ लड़ा जाने का संदेश है।


5. वामन अवतार:

भगवान विष्णु के 10 अवतार में से पाँचवा अवतार वामन अवतार है ।

- भगवान विष्णु ने वामन अवतार में बालि राजा को छल से धरती पर छोड़ा और उसके बलिदान को स्वीकार किया।

असुरों के राजा बलि ने युद्ध में देवताओं को पराजित कर दिया था और स्वर्ग लोक को अपने क़ब्ज़े में ले लिया था जिससे दुखी होकर देवता अपनी माता अदिति के पास पहुँचे और ऋषि कश्यप के कहने पर व्रत रखा जिसके फल स्वरूप 

भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया ।

एक दिन राजा बलि यज्ञ कर रहे थे और वहाँ वामन अवतार में भगवान विष्णु भीक्षा की आशा से गये और उन्होंने भिक्षा से पहले ही राजा बलि से वचन ले लिया जिसके बाद वामन अवतार ने राजा बलि से तीन पग भूमि माँगी और भगवान विष्णु ने एक पग में पूरे पृथ्वी नाप ली , दूसरे पग में पाताल सहित पूरा ब्रह्मांड नाप दिया और अंत में तीसरे पग के लिए कुछ बचा ही नहीं तो राजा बलि ने अपने सर पर पग रखने को कहा जिससे वह पाताल लोक में चले गये।

- इस अवतार से अधर्म और अहंकार के खिलाफ जीवन जीने का संदेश मिलता है।


6. परशुराम अवतार:

भगवान विष्णु के 10 अवतार में से छँटवा अवतार परशुराम अवतार है ।

- भगवान विष्णु ने परशुराम अवतार में क्षत्रिय क्षेत्र में अधर्म और तात्कालिक ब्राह्मण समुदाय की रक्षा के लिए धनुष और परशु से युद्ध किया।

महिस्मति राज्य का राजा कार्तवीर्य अर्जुन के बढ़ते दुराचार और अहिंसा से माता पृथ्वी अत्यंत दुखी और निराश थी और उन्होंने भगवान विष्णु से मदद माँगी जिसपर भगवान विष्णु ने ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के घर जन्म लिया।

महिस्मति के मंत्री के कहने पर ऋषि जमदग्नि को मार कर उनकी गाय “ कामधेनु” को छीन लिया गया और मंत्रीगण उस गाय को अपने साथ महिस्मति के राज्य में ले गये ।

चूँकि ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका क्षत्रिय कुल के थे जिसपर भगवान परशुराम ने अपनी कुल्हाड़ी उठायी और 

कार्तवीर्य समेत उसके पूरी सेना का वध कर दिया।

उनका ग़ुस्सा यहाँ भी नहीं रुका और उन्होंने अपने कुल्हाड़ी से 21 बार क्षत्रियों के साम्राज्य का विध्वंश किया और पूरी पृथ्वी को क्षत्रियों के खून से भर दिया।

- इस अवतार से समाज में न्याय और सामंजस्य की महत्वपूर्णता का संदेश है।


7. राम अवतार:

भगवान विष्णु के 10 अवतार में से सातवाँ अवतार राम अवतार है ।

- राम अवतार में भगवान विष्णु ने अधर्मी रावण का वध करके धरती को सुरक्षित किया और धर्म की पुनर्स्थापना के लिए आदर्श राजा बने।

भगवान राम का अवतार मानव जाति के लिये सबसे प्रेरणादायी साबित हुआ।

भगवान राम अत्यंत सहनशील , विनम्र और अति पराक्रमी हैं।

ऋषि विश्रवा और राक्षस गण की रानी कैकसी का पुत्र रावण ने अपने पराक्रम से तीनों लोकों में विजय प्राप्त कर ली थी और उसके पुत्र मेघनाद ने स्वर्ग के राजा इन्द्र को परास्त करके इंद्रजीत बना।

भगवान राम को उनकी माता कैकयी के द्वारा माँगे हुए वरदान के कारण उन्हें 14वर्ष का वनवास दिया गया।

वनवास के दौरान भगवान राम की पत्नी माता सीता का अपहरण करके रावण ने उन्हें लंका में बंदी बना लिया था।

और भगवान राम ने रावण का वध करके माता सीता को छुड़ाया था और वापिस अपने राज्य अयोध्या में आकर 

राजगद्दी सँभाली।

- इस अवतार से मानवता को धर्म, कर्तव्य, और प्रेम का सिखने का संदेश है।


8. कृष्ण अवतार:

भगवान विष्णु के 10 अवतार में से आठवाँ अवतार कृष्ण अवतार है ।

- कृष्ण अवतार में भगवान विष्णु ने महाभारत के समय अर्जुन को भगवद गीता के माध्यम से जीवन के उद्देश्य और कर्तव्य का सार बताया।

राजा कंस ने अपनी बहन बहन की देवकी की शादी राजा  वासुदेव से करने का फ़ैसला किया और उसकी लालच भरी सोच ने राजा वसुदेव का राज्य हथियाने का सोचा।

भगवान विष्णु ने माता देवकी के घर आठवें पुत्र के रूप में अवतार लिया और राजा कंस का वध किया।

भगवान कृष्ण ने महाभारत के युद्ध के दौरान पांडु पुत्र अर्जुन को भागवत गीता का ज्ञान दिया और पांडवों के ओर से युद्ध में शामिल हुए।

- इस अवतार से आत्मा के महत्वपूर्ण तत्वों की जानकारी मिलती है।


9. बुद्ध अवतार (Buddha Avatar):

भगवान विष्णु के 10 अवतार में से नौवाँ अवतार बुद्ध अवतार है ।

- भगवान विष्णु ने बुद्ध अवतार में अपने भक्तों को दु:ख और आत्मिक शिक्षा का ज्ञान देने के लिए धरती पर अवतरित हुए थे।

भगवान बुद्ध का अवतार वैष्णव परंपराओं के बारे में ज्ञान फैलाने के लिए हुआ था।

अग्नि पुराण के अनुसार भगवान बुद्ध का अवतार , युद्ध माँ दैत्यों द्वारा देवताओं के हार की वजह से हुआ था ।

भगवान बुद्ध वैष्णव धर्म के प्रचार और ज्ञान के लिए अवतरित हुए थे।

- इस अवतार से वह मार्ग दिखाते हैं जो आत्मा के मुक्ति की दिशा में जागरूक करता है।


10. कल्कि अवतार (Kalki Avatar):

भगवान विष्णु के 10 अवतार में से दसवा अवतार कल्कि अवतार होगा।

- कल्कि अवतार भगवान विष्णु के दसवें और अंतिम अवतार को कहा जाता है, जिसमें वे अधर्म के समाप्ति के लिए अवतरित होते हैं।

भगवान कल्कि का अवतार कलियुग के अंत के समय होगा।

भगवान कल्कि , कली नामक असुर का वध करके पुनः धर्म की स्थापना करेंगे और सतयुग की शुरुवात होगी।

जब कलियुग अपने चरम सीमा पर होगा जब लोभ , लालच , ईर्ष्या , बुराई असहनीय होगा तब 

भगवान कल्कि सात चिरंजीविओं ( हनुमान , विभीषण , परशुराम , ऋषि कश्यप , अश्वत्थामा, राजा बलि और कृपाचार्य ) के साथ मिलकर कली का वध करेंगे और धर्म की स्थापना करेंगे।

- इस अवतार से भगवान विष्णु धरती पर न्याय और धर्म की स्थापना के लिए आते हैं और अधर्मियों का समापन करते हैं

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